अप्ने आपसे लगाव नही अप्नेपनसे लगावहै,
अच्छि बातौके अलावा न चलनसे लगावहै।
लोगौँको गुमराह कर्के कमातेहै लोग दौलत,
क्यु मुझे ईस जमानेमे भी न धनसे लगावहै।
न जातिय बन्धन हो नाही गरीब हो इन्शान,
रुप प्यारा होता है मगर मुझे मनसे लगावहै।
समानता मुलक समाज कि ख्वाईसमे जिये,
मरजाएङ्गे देशके लिए हमे बतनसे लगावाहै।
हरियाली हो मेरे पुर्खौँकी धर्ती लहुसे सिँच्ते,
निञ्चल जल हरियाली सारा बनसे लगावहै।